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Showing posts from March, 2020

मोबाइल का पिन

#समय_हो_तो_जरूर_पढ़ें … ट्रैन के कम्पार्टमेंट में मेरे सामने की सीट पर बैठी लड़की ने मुझसे पूछा " हैलो, क्या आपके पास इस मोबाइल की पिन है??" उसने अपने बैग से एक फोन निकाला था, और नया सिम कार्ड उसमें डालना चाहती थी। लेकिन सिम स्लॉट खोलने के लिए पिन की जरूरत पड़ती है जो उसके पास नहीं थी। मैंने हाँ में गर्दन हिलाई और सीट के नीचे से अपना बैग निकालकर उसके टूल बॉक्स से पिन ढूंढकर लड़की को दे दी। लड़की ने थैंक्स कहते हुए पिन ले ली और सिम डालकर पिन मुझे वापिस कर दी। थोड़ी देर बाद वो फिर से इधर उधर ताकने लगी, मुझसे रहा नहीं गया.. मैंने पूछ लिया "कोई परेशानी??" वो बोली सिम स्टार्ट नहीं हो रही है, मैंने मोबाइल मांगा, उसने दिया। मैंने उसे कहा कि सिम अभी एक्टिवेट नहीं हुई है, थोड़ी देर में हो जाएगी। और एक्टिव होने के बाद आईडी वेरिफिकेशन होगा उसके बाद आप इसे इस्तेमाल कर सकेंगी। लड़की ने पूछा, आईडी वेरिफिकेशन क्यों?? मैंने कहा " आजकल सिम वेरिफिकेशन के बाद एक्टिव होती है, जिस नाम से ये सिम उठाई गई है उसका ब्यौरा पूछा जाएगा बता देना" लड़की बुदबुदाई  "ओह्ह "

नेत्रदान एक कहानी

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*जन्मदिन  का  उपहार* मैं सुचित्रा, आज मेरा जन्मदिन है। सचिन ने सुबह ही कहा :- "आज कुछ बनाना नहीं। लंच के लिए हम बाहर चलेंगे। तुम्हारे जन्मदिन पर आज तुम्हें एक अनोखी ट्रीट मिलेगी।" 15 साल हो गए हमारी शादी को। मैं सचिन को बहुत अच्छे से जानती हूँ। दोनों बच्चे शाम 4 बजे स्कूल से लौटेंगे यानी लंच पर मैं और सचिन ही जाएँगे और बच्चों के आने से पहले लौट भी आएँगे। एक नए बने मॉल की पार्किंग में हमारी गाड़ी पहुँची।  5वी मंजिल पर खाने पीने के ढेरों स्टॉल्स थे  फाइनली एक बंद द्वार पर हम पहुँचे। द्वार पर एक बोर्ड लगा था, जिसपर लिखा था : “Dialogue in the dark” मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ। "अंधेरे में संवाद" ? ये कैसा नाम है, रेस्टॉरेंट का ? बड़ा विचित्र लग रहा था सब कुछ।  अगले मोड़ के बाद इतना अंधेरा हो गया कि, मैंने सचिन का हाथ पकड़ लिया और  फिर शायद हम एक हॉल में पहुँचे।   एक सूटबूट धारी आदमी ने किसी को आवाज लगाई :- "संपत।" “ये आज के हमारे स्पेशल गेस्ट हैं। आज मैडम का बर्थडे है। गिव देम स्पेशल ट्रीट। ऑर्डर मैंने ले लिया है, तुम इन्हें इनकी टेबलपर लेकर जाओ। अब उस दूसरे

क्योंकि मैं रिस्क नहीं लेता

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कभी भी शराब पीते हुए रिस्क नहीं लेता। . . . . मैं ऑफिस से शाम को घर पे आया तो बीवी खाना बना रही थी। हाँ, मुझे रसोई से बर्तनों की आवाज़ आ रही है। मैं छुपके से घर में घुस गया काले रंग की अलमारी में से ये मैंने बोतल निकाली शिवाजी महाराज फ़ोटो फ्रेम में से मुझे देख रहे हैं पर अब भी किसी को कुछ पता नहीं लगा क्योंकि मैं कभी रिस्क नहीं लेता। . . . . . . . मैंने पुरानी सिंक के ऊपर वाली रैक से गिलास निकाला और फटाक से एक पेग गटक लिया। गिलास धोया, और उसे फिर से रैक पे रख दिया। बेशक मैंने बोतल भी अलमारी में वापस रख दी शिवाजी महाराज मुस्कुरा रहे हैं . . . . . मैंने रसोई में झांका बीवी आलू काट रही है। किसी को कुछ पता नहीं चला के मैंने अभी अभी क्या किया क्योंकि मैं कभी रिस्क नहीं लेता। . . . . . मैं बीवी से पूछा: चोपड़ा की बेटी की शादी का कुछ हुआ ? बीवी : नहीं जी, बड़ी ख़राब किस्मत है बेचारी की। अभी लड़का देख ही रहे हैं वो लोग उसके लिए। . . . . . मैं फिर से बाहर आया, काली अलमारी की हलकी सी आवाज़ हुई पर बोतल निकालते हुए मैंने बिल्कुल आवाज़ नहीं की सिंक के ऊपर वाली पुरानी रैक से मैंने गिलास निकाला

वास्कोडिगामा क्या सच मे हीरो ?

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मैं उन्हें अपनी शक्ति का एहसास दिखा चुका हूं जब राजा ने ने मुझे एक दूत भेजा तो मैंने उसके होंठ काट कर और उसके कान की जगह अपने जहाज के कुत्ते के कान लगाकर, उसको लोहे के बिस्तर पर बिठा कर वापस भेज दिया वे अब सदैव के लिए हमसे भय खाएंगे. जिस समय वास्कोडिगामा भारत आया था तब पुर्तगाल जाकर उसने अपने राजा को ऊपर लिखी बातें बताई थी यह बातें ही इस बात का सबूत है कि भारत में आकर उसने कितनी क्रूरता दिखाइ। भारत में कभी भी वास्कोडिगामा के बारे में नहीं बताया जाता, किताबों में लिखा होता है कि वास्को डी गामा ने भारत की खोज की. ये पढ़ कर ऐसा लगता है जैसे वास्कोडिगामा बहुत बड़ा खोजकर्ता और महान समुद्री पायलट था लेकिन वास्तविकता इससे बहुत उल्टी हुई थी तो हमारे सामने तीन मुख्य सवाल है जिसमें से पहले पहले सवाल है  वास्कोडिगामा भारत क्यों आया था? रोमन काल से ही यूरोप और मध्य एशिया भारत से आने वाले मसालों के बहुत बड़े शौकीन थे काली मिर्च, दालचीनी और इस तरह के अनेक स्वाद बढ़ाने वाले और औषधीय कारणों से इस्तेमाल होने वाले मसालों का एक बहुत बड़ा व्यापार यूरोपियन लोगों से होता था. भारत के मसाले इतने महत्वपूर्ण थे

खतरनाक बदला

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यह बदला मैंने अपनी छोटी बहन से लिया था। बहुत समय पहले की बात है जब मैं 12 साल की और मेरी बहन 10 साल की रही होगी। उसकी एक आदत थी जो भी मुझे पसंद होता था वह उसे छीन लिया करती थी जैसे जब भी मुझे थाली परोसी जाए वह उसे लेकर कहती थी मैं खाऊंगी या कभी पिताजी कुछ लाकर मुझे दें तो वह मुझे लेने नहीं देती थी और कहती थी मैं लूंगी। एक दिन मैंने अपनी मां से शिकायत की तो उन्होंने मुझे समझाया कि वह छोटी है और उसे लगता है कि तुझे हम जो भी देते हैं वह बेहतर है इसीलिए वह उसे छीन लेती है। सुनकर मुझे अच्छा नहीं लगा लेकिन मैं भी क्या करती मेरी मजबूरी थी। फिर एक दिन वह आया जिस दिन हमारे घर घूमने गांव से बूढ़ी काकी आई। वह हमें बहुत प्यारी थी और हमें ढेर सारी चॉकलेट देती थी पर उनकी एक बुरी आदत थी रात को सोते वक्त वह बहुत धमाका किया करती थी। मुझे खुराफात सूझी और मैं चिल्लाने लगी मुझे सोना है काकी के साथ और यह देख मेरी बहन ने भी जिद करना शुरू कर दिया की मैं सोउंगी काकी के साथ। मैंने ज्यादा जिद नहीं की और मुस्कुराते हुए अपने कमरे में वापस आ गई अगले दिन सुबह मैंने देखा मेरी बहन की आंखें सूजी हुई है और

आपकी सफलता का सबसे बड़ा दुश्मन

कंपनी के कर्मचारी एक दिन आफिस पहुंचे। उन्हें गेट पर ही एक बड़ा सा नोटिस लगा मिला, जिसमें लिखा था-" इस कंपनी में जो व्यक्ति आपको आगे बढ़ने से रोक रहा था, कल उसकी मृत्यु हो गई है। हम आपको उसे आखिरी बार देखने का मौका दे रहे हैं, कृपया बारी - बारी से मीटिंग हाॅल मे जाएं और उसे देखने का कष्ट करें। " जो भी नोटिस पढ़ता उसे पहले तो दुख होता, फिर जिज्ञासा हो जाती कि आखिर कौन था, जिसने उसकी तरक्की रोक रखी थी ? देखते-देखते हाॅल के बाहर काफी भीड़ हो गयी। गार्ड एक - एक करके अंदर जाने दे रहा था। बाहर खड़े लोग देख रहे थे कि जो भी अंदर से वापस आ रहा था, वह काफी उदास और दुखी है, मानो उसके किसी करीबी की मृत्यु हुई हो। इस बार अंदर जाने की बारी एक पुराने कर्मचारी की थी। उसे सब जानते थे। सबको पता था कि उसे हर एक चीज से शिकायत रहती है, कंपनी से, बाॅस से, सहकर्मियों से, वेतन से, हर एक चीज से! पर आज वो थोड़ा खुश लग रहा था। उसे लगा कि चलो जिसकी वजह से उसके जीवन मे इतनी समस्याएं थीं, वो गुजर गया।   अपनी बारी आते हीं वह तेजी से हाॅल के अंदर रखे ताबूत के पास पहुंचा और उचक कर अंदर देखने लगा। ये क्

earn online with amazon ko .अमेजोंन के डी पी

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Amazon KDP यह भी एक Amazon का ही सर्विस है जहाँ से आप पैसे कमा सकते हैं.यह एक ऐसा प्लेटफार्म है अगर आप आज से इस पर काम करना शुरू करते हैं तो आप 2-3 दिन के बाद से इसमें पैसा कमाने लगते हैं. इसका full नाम Amazon Kindle Direct Publishing है.इस पर पैसे कमाने के लिए आपको बुक अपलोड करना होता है. मतलब जब आप Book Upload करते हैं तो आपका Book sell होता है.जिसका आपको Royalty मिलता है, मतलब पैसा मिलता है. आप ये सोंच रहें होंगें कि जो बुक हमें अपलोड करना है वो हमें कहाँ से मिलेगा.ना हमारे पास बुक है और ना हम राइटर है कि हम अपना खुद का बुक लिखकर अपलोड कर सके. कृपया ध्यान दीजिये, इसमें आपको किसी भी प्रकार का Book ना तो लिखना है और ना ही अपने पास रखना है. इसमें बुक अपलोड करने के लिए आपके पास Public Domain Book बुक होना जरुरी है.Public Domain Book का मतलब जो बुक लेखक लिखकर मर चुके है उनका बुक पब्लिक के लिए फ्री हो जाता है. आप उसे फ्री में Download करके अपने Amazon KDP Account पर अपलोड कर सकते हैं.इसके बारे में और details में जानने के लिए आप हमारे Amazon Course Category में जरुर जाएँ. Amazon Se Paise K

बालाजी और यस बैंक में उनके जमा 1300 करोड़ रुपये

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बालाजी और यस बैंक में उनके जमा 1300 करोड़ रुपये  यस बैंक डूबने की कगार पर है और कल से खाताधारक केवल 50000 रुपए निकाल सकेंगे अपने लाखों करोड़ों जमा हक़ के रुपयों में से। अप्रैल 2019 में यस बैंक के एक शेयर की कीमत जहाँ 255 रुपए थी वहाँ आज मात्र 16 रुपए रह गयी है। यहीं से इस बैंक की बर्बादी का अनुमान आप लगा सकते है। इस बैंक में तिरुपति तिरुमाला देवस्थानम के भी 1300 करोड़ रुपए जमा थे, जिसमे से एक एक रुपया 2019 के आखिरी महीनों में निकाल लिया गया आश्चर्यजनक रूप से। भला क्यों? "मुझे दैवीय प्रेरणा हुई बालाजी के द्वारा जिसने यस बैंक के रिकार्ड्स चेक करने पर मजबूर किया। फिर उन्होंने मुझे मन मे दिशा निर्देश दिए जिस कारण भक्तों द्वारा भगवान को अर्पित किए गए एक एक पैसे को सुरक्षित निकाल लिया गया 2019 के आखिरी महीनों में।" ये शब्द थे वी रेड्डी के, जो पिछले वर्ष ही तिरुमाला देवस्थानम के चेयरमैन नियुक्त किए गए थे। पिछले साल किसी भी बैंक विशेषज्ञ को ये अनुमान नही था की यस बैंक की हालत इतनी खराब होगी। इतनी खराब की पूरी तरह से डूब जाएगी। लेकिन भक्तों के भगवान को, उस सर्वान्तर्यामी को, उस जगत के बना

भारत की मंदी और समोसे वाला

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मंदी एक छोटे से शहर मे एक बहौत ही मश्हूर बनवारी लाल सामोसे बेचने वाला था। वो ठेला लगाकर रोज दिन में 500 समोसे खट्टी मीठी चटनी के साथ बेचता था रोज नया तैल इस्तमाल करता था और कभी अगर समोसे बच जाते तो उनको कुत्तो को खिला देता stale बासी समोसे या चटनी का प्रयोग बिलकुल नहीं करता था , उसकी चटनी भी ग्राहकों को बहोत पसंद थी जिससे समोसों का स्वाद और बढ़ जाता था। कुल मिलाकर उसकी क्वालिटी और सर्विस बहोत ही बढ़िया थी। उसका लड़का अभी अभी शहर से अपनी MBA की पढाई पूरी करके आया था। एक दिन लड़का बोला पापा मैंने न्यूज़ में सुना है मंदी आने वाली है, हमे अपने लिए कुछ cost cutting करके कुछ पैसे बचने चाहिए, उस पैसे को हम मंदी के समय इस्तेमाल करेंगे। समोसे वाला: बेटा में अनपढ़ आदमी हु मुझे ये cost cutting wost cutting नहीं आता ना मुझसे ये सब होगा, बेटा तुझे पढ़ाया लिखाया है अब ये सब तू ही सम्भाल। बेटा: ठीक है पिताजी आप रोज रोज ये जो फ्रेश तेल इस्तमाल करते हो इसको हम 80% फ्रेश और 20%पिछले दिन का जला हुआ तेल इस्तेमाल करेंगे। अगले दिन समोसों का टेस्ट हल्का सा चेंज था पर फिर भी उसके 500 समोसे बिक गए और शाम

बीवी से को नही डरता है ।

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एक कहानी एक राजाने एक सर्वे करने का विचार किया। अपने राज्य की घर गृहस्थी कौन चलाता है, बीवी या मोबाइल का पिन ( एक इमोशनल कहानी) ख़ुद पति,,,, उस के लिए उसने ईनाम घोषित किया, जिसका घर पति के इशारे पे चलता है, उसको एक उमदा घोडा ईनाम दिया जाएगा, बीवी से कौन नहीं डरता है( एक मजेदार कहानी) और जिसका घर बीवी के इशारे पे चलता है, उसे एक सेब ईनाम मिलेगा, फिर राजमहल में लंबी कतार लगती गई। हरेक व्यक्ति आता और चुपचाप दिया हुआ ईनाम याने कि सेब ले कर मुंह लटकाए हुए चलता बनता। इधर राजा को चिंता लगी रही क्या है ये अपने राज्य की दशा, इतना महापराक्रमी मै और मेरे राज्य के लोग ये ऐसे? बीवी के इशारे पर नाचने वाले। सेब के पिटारे के पिटारे खाली हो गये पर कोई माई का लाल घोड़ा लेने नहीं आया। इतने में दूर से धूल उड़ती दिखाई दी। एक हट्टा कट्टा बड़ी बड़ी मुंछो वाला रोबीला पहलवान टाइप का आदमी दरबार में मुखातिब हुआ और बोला, महाराज, मुझे दीजिए घोड़ा, मेरे घर में मेरा ही हुकुम चलता है। ये सुनकर राजा बहुत खुश हुआ। अपने मंत्री के पास देख कर मुछो पर ताव देते हुए बोला जा, अस्तबल से तुझे जो पसंद है वो घोड़ा ले के जा। नेत्र

लकीर के फ़क़ीर ना बने । एक कहानी

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ये कहानी उस वक़्त की जब कुछ बंदरों को एक बड़े से पिंजरे में डाला गया । बन्दर जैसे ही पिजरे में पहुंचे उन्होंने वहा देखा कि एक सीढ़ी लगी है। और सीढ़ी के उपर वाले हिस्से में कुछ केले लटकाए गए है । अब एक बन्दर को भूख लगने लगी थी तो केले खाने का मन हुआ । और वो केले खाने की कोशिश करने लगा । पर जैसे ही सीढ़ी पे चढ़ा । उपर से उस पर ठंडा पानी गिराया गया । और यही ठंडा पानी बाकी बंदरो पे भी फेका गया । सारे बन्दर दुबाकर बैठ गए ।थोड़ी देर बाद दूसरे बन्दर ने कोशिश की फिर से वहीं हुआ जैसे वो सीढ़ी पे पहुंचा वैसे ही फिर से ठंडा पानी गिराया गया । बाकी बंदरो के साथ भी वही हुआ । फिर सब दुबा कर बैठ गए । फिर तीसरे ने कोशिश की , चौथे ने कोशिश यही सजा मिली । अब बंदरो को धीरे -धीरे ये समझ में आने लगा अगर हम वहा पे जाएंगे तो हम पर ठंडा पानी फेका जाएगा । कुछ देर बाद . . फिर से एक बन्दर को भूख लगी और वो कोशिश करके वो केले की तरफ बढ़ा सीढ़ी पे पहुंचने वाला होता है , उससे पहले ही सारे बन्दर उसकी पिटाई कर दी , जम के धुलाई कर दी । कि बेटा वापस मत जा केले के पास । चुपचाप आकर बैठ जा । फिर से किस बंदर ने हिम्मत करके ज

विराथु म्यांमार का महानायक कैसे बना

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#विराथू 👉 जो काम अमेरिका फ्रांस भारत रूस कोई नहीं कर पाया...वो बर्मा के "विराथू" जी ने कर दिखाया...! ! 👉 आज बर्मा में करोडो रुपये के बने मस्जिद वीरान पड़े हैं...क्यूंकि आज देश मे मुसलमान देखने को नहीं है... जो की वहां जाए और देखे मस्जिदों को...और जो है वहां, उसकी तबीयत से ठुकाई हो रही है...! "विराथु" जिसके बाद ही लोग जान पाए कि ये महान इंसान कौन है...? ! और इन्होने क्या कर डाला है...? ! 👉 क्या भारत को भी एक ऐसे आसीन "विराथू" की जरुरत है...? ! कौन इस सन्त की तरह भूमिका निभा सकता भारत मे...? ! मित्रो "आसीन विराथु" - वो भगवा संत जिसके नाम से काँपते हैं मुसलमान...! "विराथु"...जी हाँ, बस ये शब्द ही काफी है म्यांमार में, इस शब्द को सुनकर मुस्लिमों में कंपकपी मच जाती है...! 👉 बर्मा के बौद्ध गुरु "विराथु जी" ने आखिर किस तरीके से मुस्लिम को भगाया या कमज़ोर किया समझो...! जैसे मुसलमानों का '७८६' का नंबर लकी माना जाता है वैसे ही विराथु ने '"९६९"' का नंबर निकाला...और उन्होंने पुरे देश के लोगों से आह्वान किया...क

बजरंग बली का प्रत्यक्ष आशीर्वाद अथवा चमत्कार

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इसे मैं बजरंग बली का प्रत्यक्ष आशीर्वाद अथवा चमत्कार नहीं तो और क्या कहूं ? सन १९८८-८९ की बात है ! मेरी अवस्था कोई सात-आठ वर्ष की रही होगी ! मेरे एक दांत में कुछ समय से दर्द था जिसका इलाज हमारे घर से कोई दो किलोमीटर दूर एक डेंटल सर्जन डॉ बी डी अहुजा के पास चल रहा था ! एक दिन डॉ ने मेरे दांत का x-Ray किया व् निष्कर्ष निकाला कि उस दांत को निकालने के अतिरिक्त कोई उपाय नहीं है कि वो दांत इस हद तक खराब हो चुका था ! x-Ray में देखने से ही दांत की अवस्था बहुत खराब दिखाई पड़ती थी ! उसी रात.. कोई 11 बजे के आसपास का समय रहा होगा ! घर में सभी खा-पी कर सोने जा चुके थे ! अचानक ही मेरे दांत में तीव्र वेदना का अनुभव होने लगा ! ये वेदना वही समझ सकता है जिसने दांत के दर्द को अनुभव किया हो ! कुछ समय तक मैं यू ही लेटा रहा ! किन्तु, दर्द की बढ़ती तीव्रता ने मुझे रोने पर मजबूर कर दिया ! मां-पिताजी उठ कर बैठ गए थे ! मां ने मुझे गर्म चाय बना कर दी, जिसके सेंक से मुझे अक्सर आराम मिल जाया करता था ! दर्द की दवा भी दी गयी किन्तु सब बेकार ! मारे दर्द के मैं बहुत बुरी तरह छटपटाने लगा था अब तक ! तब मोबाइल